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Showing posts from July, 2025

अल्हड़ प्रेमिका

 उसने जो मेरी क्लास फेलो थी  चुलबुली सी नटखट सी लड़की थी  आ रहें थें शरीर पर अंतरिक उभार  जिन्हें शब्दों में कहने में  में रहूंगा शर्मशार  अल्हड़ थी नटखट थी  उफनती जवानी थी  में भी तों  खोज रहा था किसी से प्यार  मोबाइल कि दुनिया नहीं थी  चलता था पत्राचार  गर्जती कड़कती वारिस में  टूटे फ़ूटे घरो में  वह भींगती हुईं आ गई थी  गिला शिकवा  माफ करके  मिल कर सपने में  रचा रहे थें प्यार  नयी उमंग नयी जवानी  दो देह ऐक मन से कर रहे थें प्यार   लेकिन उस खंडहर कि दीवारों हमारी गर्म सांसें  पसंद नहीं थी  तभी तो गांव में  हो गया था हाहाकार  फिर क्या उसकी शादी तय की थी  बारात आई थी दुल्हन बनकर ससुराल  कड़कती ठंड में  पहुंच गई थी  सुहागरात रात में वह पति को  नहीं कर पाईं थी सविका अब तो पता नहीं  कहां है वो और मैं  जीवन जी रहे हैं  अवसाद  काश जैसे हीर रांझा  के प्रेम को उस समय समझा होता तब शायद हम आप नहीं जान पाते छोटी सी पंक्...

भटकतीं आत्माएं भाग ३

 वह लंबी सी कार में थे और पापाजी पिछली बार सीट पर बैठे थे, खुद ही कार ड्राइव कर रहे थे, कार के अंदर कोई में म्यूजिक दे रहे थे, कम से कम फिल्म का मशहूर गाना था, कुछ ही मिनट में हम नए स्कूल गए थे वहां के हेडमास्टर सर ने मिस्टर डिजा का स्वागत करते हुए कहा था कि सर यह संस्था आपके पैसे के साथ ही चल रही है आपका कैसा आना हुआ, तब अंकल ने कहा था कि यह मेरी बेटी है जो पापा की बेटी है और वह मेरे पिता हैं।  जी सर हो गया लेकिन हमारी संस्था के कुछ नियम हैं कि गाजर के दिमाग का टेस्ट लिया जाएगा  अंकल ने कहा कि पहली बार किसी के लिए कोचिंग करना जरूरी है, मेरे दिमाग का टेस्ट हो रहा है या फिर फेल हो गया है, मुझे नहीं पता कि एडजस्टमेंट डोज या जवाब नहीं देना है  स्पेशल हेडमास्टर साहब शायद डर गए थे तभी तो होगी सर हो जाएगी कुछ कोचिंग के साथ सलाह हो गई थी अब मैं रोज स्कूल बस से आने लगी थी स्कूल में मेरे टॉप टीचर्स का ध्यान रखा गया था घर पर भी अंकल ने टीचर्स का अपार्टमेंट कर दिया था शुरू में मैंने ही कड़ी मेहनत की थी और आप अपनी पढ़ाई स्कूल से आगे बढ़ा गए  अंकल ने मम्मी को कार दी थी अब मम...