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अल्हड़ प्रेमिका

 उसने जो मेरी क्लास फेलो थी  चुलबुली सी नटखट सी लड़की थी  आ रहें थें शरीर पर अंतरिक उभार  जिन्हें शब्दों में कहने में  में रहूंगा शर्मशार  अल्हड़ थी नटखट थी  उफनती जवानी थी  में भी तों  खोज रहा था किसी से प्यार  मोबाइल कि दुनिया नहीं थी  चलता था पत्राचार  गर्जती कड़कती वारिस में  टूटे फ़ूटे घरो में  वह भींगती हुईं आ गई थी  गिला शिकवा  माफ करके  मिल कर सपने में  रचा रहे थें प्यार  नयी उमंग नयी जवानी  दो देह ऐक मन से कर रहे थें प्यार   लेकिन उस खंडहर कि दीवारों हमारी गर्म सांसें  पसंद नहीं थी  तभी तो गांव में  हो गया था हाहाकार  फिर क्या उसकी शादी तय की थी  बारात आई थी दुल्हन बनकर ससुराल  कड़कती ठंड में  पहुंच गई थी  सुहागरात रात में वह पति को  नहीं कर पाईं थी सविका अब तो पता नहीं  कहां है वो और मैं  जीवन जी रहे हैं  अवसाद  काश जैसे हीर रांझा  के प्रेम को उस समय समझा होता तब शायद हम आप नहीं जान पाते छोटी सी पंक्...

अल्हड़ प्रेमिका

 उसने जो मेरी क्लास फेलो थी 

चुलबुली सी नटखट सी लड़की थी 

आ रहें थें शरीर पर अंतरिक उभार 

जिन्हें शब्दों में कहने में 

में रहूंगा शर्मशार 

अल्हड़ थी नटखट थी 

उफनती जवानी थी 

में भी तों 

खोज रहा था किसी से प्यार 

मोबाइल कि दुनिया नहीं थी 

चलता था पत्राचार 

गर्जती कड़कती वारिस में 

टूटे फ़ूटे घरो में 

वह भींगती हुईं आ गई थी 

गिला शिकवा 

माफ करके 

मिल कर सपने में 

रचा रहे थें प्यार 

नयी उमंग नयी जवानी 

दो देह ऐक मन से कर रहे थें प्यार  

लेकिन उस खंडहर कि दीवारों हमारी गर्म सांसें 

पसंद नहीं थी 

तभी तो गांव में 

हो गया था हाहाकार 

फिर क्या उसकी शादी तय की थी 

बारात आई थी

दुल्हन बनकर ससुराल 

कड़कती ठंड में 

पहुंच गई थी 

सुहागरात रात में वह पति को 

नहीं कर पाईं थी सविका

अब तो पता नहीं 

कहां है वो और मैं 

जीवन जी रहे हैं 

अवसाद 

काश जैसे हीर रांझा 

के प्रेम को उस समय समझा होता तब शायद हम आप नहीं जान पाते छोटी सी पंक्तियां गलती के लिए क्षमा प्रार्थी नमस्कार सूभ संध्या

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