उसने जो मेरी क्लास फेलो थी चुलबुली सी नटखट सी लड़की थी आ रहें थें शरीर पर अंतरिक उभार जिन्हें शब्दों में कहने में में रहूंगा शर्मशार अल्हड़ थी नटखट थी उफनती जवानी थी में भी तों खोज रहा था किसी से प्यार मोबाइल कि दुनिया नहीं थी चलता था पत्राचार गर्जती कड़कती वारिस में टूटे फ़ूटे घरो में वह भींगती हुईं आ गई थी गिला शिकवा माफ करके मिल कर सपने में रचा रहे थें प्यार नयी उमंग नयी जवानी दो देह ऐक मन से कर रहे थें प्यार लेकिन उस खंडहर कि दीवारों हमारी गर्म सांसें पसंद नहीं थी तभी तो गांव में हो गया था हाहाकार फिर क्या उसकी शादी तय की थी बारात आई थी दुल्हन बनकर ससुराल कड़कती ठंड में पहुंच गई थी सुहागरात रात में वह पति को नहीं कर पाईं थी सविका अब तो पता नहीं कहां है वो और मैं जीवन जी रहे हैं अवसाद काश जैसे हीर रांझा के प्रेम को उस समय समझा होता तब शायद हम आप नहीं जान पाते छोटी सी पंक्...
रात्रिकालीन समय था आसमान मे बादल गरज रहै थे कही दूर किसी पेड पर बिजली गिरी थी बाहर तेज हवा के साथ पानी बरस रहा था ऐसे ही मौसम मै ऐक कहारती हुई दयनीय आवाज अजी सुनती हो दूसरी बार अजी सुनती हो जरा ऐक घूट पानी पिला देना कहारती आवाज देने वाले रिटायर्ड आइ ऐ ऐस अधिकारी थे और जो पानी दे रहीं थी ऊनकी जीवन सहचरी थी वह भी प्रोफेसर के पद से रिटायर्ड हुई थी खैर पानी पीने के बाद वयोबृध ने पूछा था कितना समय हुआ बुढया मोबाइल मे समय देखकर अभी सुबह के चार बजे है बुढऊ ने जरा सुमित को विडिओ काल करना अभी कनाडा में तो शायद शाम होगी देखो बेटा से बात करने का बहुत मन हो रहा है जीवन कि अंतिम सँधया है पता नहीं कब देह से प्राण निकल जाए बुढिया ने ऐसा मत कहो आप ही तो जीवन का सहारा है खैर में सुमित को विडिओ काल करतीं हूँ कुछ छढो बाद हाय डैड हाय ममा आप कैसे है बुढऊ कापती आवाज से बेटा ऐक बार तुझे बहू पोते को जी भर के सामने देखना चाहता हूँ आ जा न सुमित :- देखिये डैड जूली ने अभी नोकरी चेंज कि है छुट्टी नहीं मिलेगी हाँ अगर पैसे कि जरुरत हो तब मै भेज देता हूँ बुढिया :-बेटा पै...