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भटकतीं आत्माएं भाग ३

 वह लंबी सी कार में थे और पापाजी पिछली बार सीट पर बैठे थे, खुद ही कार ड्राइव कर रहे थे, कार के अंदर कोई में म्यूजिक दे रहे थे, कम से कम फिल्म का मशहूर गाना था, कुछ ही मिनट में हम नए स्कूल गए थे वहां के हेडमास्टर सर ने मिस्टर डिजा का स्वागत करते हुए कहा था कि सर यह संस्था आपके पैसे के साथ ही चल रही है आपका कैसा आना हुआ, तब अंकल ने कहा था कि यह मेरी बेटी है जो पापा की बेटी है और वह मेरे पिता हैं।  जी सर हो गया लेकिन हमारी संस्था के कुछ नियम हैं कि गाजर के दिमाग का टेस्ट लिया जाएगा  अंकल ने कहा कि पहली बार किसी के लिए कोचिंग करना जरूरी है, मेरे दिमाग का टेस्ट हो रहा है या फिर फेल हो गया है, मुझे नहीं पता कि एडजस्टमेंट डोज या जवाब नहीं देना है  स्पेशल हेडमास्टर साहब शायद डर गए थे तभी तो होगी सर हो जाएगी कुछ कोचिंग के साथ सलाह हो गई थी अब मैं रोज स्कूल बस से आने लगी थी स्कूल में मेरे टॉप टीचर्स का ध्यान रखा गया था घर पर भी अंकल ने टीचर्स का अपार्टमेंट कर दिया था शुरू में मैंने ही कड़ी मेहनत की थी और आप अपनी पढ़ाई स्कूल से आगे बढ़ा गए  अंकल ने मम्मी को कार दी थी अब मम...

औलाद का सुख

 रात्रिकालीन समय था आसमान मे बादल गरज रहै थे कही दूर किसी पेड पर बिजली गिरी थी  बाहर तेज हवा के साथ पानी बरस रहा था ऐसे ही मौसम मै ऐक कहारती हुई दयनीय आवाज अजी सुनती हो दूसरी बार अजी सुनती हो जरा ऐक घूट पानी पिला देना कहारती आवाज देने वाले रिटायर्ड आइ ऐ ऐस अधिकारी थे और जो पानी दे रहीं थी ऊनकी जीवन सहचरी थी वह भी प्रोफेसर के पद से रिटायर्ड हुई थी खैर पानी पीने के बाद वयोबृध ने पूछा था कितना समय हुआ बुढया मोबाइल मे समय देखकर अभी सुबह के चार बजे है 

बुढऊ ने जरा सुमित को विडिओ काल करना अभी कनाडा में तो शायद शाम होगी देखो बेटा से बात करने का बहुत मन हो रहा है जीवन कि अंतिम सँधया है पता नहीं कब देह से प्राण निकल जाए 

बुढिया ने ऐसा मत कहो आप ही तो जीवन का सहारा है खैर में सुमित को विडिओ काल करतीं हूँ 

कुछ छढो बाद हाय डैड हाय ममा आप कैसे है 

बुढऊ कापती आवाज से बेटा ऐक बार तुझे बहू पोते को जी भर के सामने देखना चाहता हूँ आ जा न 

सुमित :- देखिये डैड जूली ने अभी नोकरी चेंज कि है छुट्टी नहीं मिलेगी हाँ अगर पैसे कि जरुरत हो तब मै भेज देता हूँ 

बुढिया :-बेटा पैसा पैसा तो बहुत है हमारे पास हम दोनों कि पेशन ही हजारों मे आ रही है हमें तो...... बुढिया कि आँखों से झर झर आँसुओ कि धारा बहने लगीं थी 

सुमित :-झललाकर आप लोगो कि यहीं समस्या है कुछ भी नहीं समझते यहाँ का जीवन  बहुत ही टफ है ऐक ऐक मिनिट कि कीमत है समझा किजियए और उसने काल कट कर दिया था 

उसके रूखे पन से माता पिता दोनों ही..... रोने लगे थे 

कुछ देर बाद उनहोंने बेटी को फोन मिलाया था  

बुड्ढा :- कैसी हो बेटी 

बेटी :-जी अच्छी हूँ 

बुढिया:-देख मुक्ति अमेरिका से कुछ दिनों कि छुट्टी लेकर आ जा बेटी तेरे बाबूजी तुझे बहुत याद करते है और तू तो देख ही रहीं है उनकी हालात.......

आँखों से आसूं पोछकर हमारी दो संतान होने के बाद भी हम जीवन कि अंतिम समर बेला में अकेले है तू तो आ रही है न देख बेटी हमारे पास बहुत पैसा है बंगला है कार है तू बापस अपने देश आ जा बेटा यहीं काम काज कर अपने देश मे नौकरी कि कमी है भला देख बेटी तुम्हारे बाबूजी ने तेरे लिए लडका देख रखा है बडे घर का आइ ऐ ऐस के पद पर है हम तेरी धूमधाम से शादी करेगें बेटी 

मुकता:-  ममा यह शादी शादी कि क्या रट लगा कर बैठे है मुझे अपना कैरियर बनाना है यहाँ अमेरिका म लडके नहीं है क्या तुमहे पता है मेरा पाचवै बॉयफ्रेंड से पिछले महीने ही ब्रेकअप हुआ है वह सभी भी शादी शादी कि रट लगा रहे थे इसलिए मैंने उनहे छोड़ दिया भाइ मेरा अपना जीवन है मुझे कैसे जीना हैँ मुझे ही तय करना है और हाँ मेने छठवा बॉयफ्रेंड के सामने अपनी सभी शरतो को रखा हैँ पीटर मुझे बहुत प्यार करने  वाला मिला है.....उसके शब्दों को सुनकर दोनों पति पत्नी निरुत्तर  हो गए थें दोनों ही रोने लगे थें और सोच रहे थें कि भगवान ने ऐसी औलादे ही नही दी होती तब अच्छा रहता कुछ देर बाद बूढ़े आदमी ने जरा पैन कागज लाना लिखा था कि हम दौनो के मरने के बाद हमारी मृत देह मेडिकल कालेज को दान दी जाऐ और सारी सँपती गरीब मूक दिव्यांग  बच्चों के विद्यालय बनाने के लिए उपयोग की जाए  

फिर कुछ ही छणो के बाद बुड्ढे ने देह त्याग दी थीं बुड्ढी कुछ पलो तक पति को देखती रहीं और सहसा सीने पर सिर रखकर भगवान को प्यारी हो गई थी



लिखना जारी है....



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